Godambari Negi Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Godambari Negi 5 Feb 2024 · 1 min read 'चाँद गगन में लुक-छिप करता चाँद गगन में, श्वेत स्याम घन बीच। तारावली वदन मलिन हुआ, जलधर फेन उलीच। पल में झलके पलमें ढलके, चले निराली चाल। पुरवा पवन चले मदमाती, बजा बजाकर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 97 Share Godambari Negi 5 Feb 2024 · 1 min read 'भोर' भोर आई भोर आई,खग चले नभ ओर। मच रहा है घोंसलों में, नभचरों का शोर। भानु की आई सवारी, हो रही जयकार। शंख बजते मंदिरों में , पुष्प सजते द्वार।।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 175 Share Godambari Negi 5 Feb 2024 · 1 min read 'माटी मेरे गाँव की' गोदी में जिसकी खेली पली बढ़ी, उछली कूदी लिखी पढ़ी। खेतों और खलिहानों में, पगडंडी पर पतली खूब चढ़ी। सोधी सुगंध बसी मन जिसकी वो है माटी मेरे गाँव की।।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 108 Share Godambari Negi 5 Feb 2024 · 1 min read ‘प्यारी ऋतुएँ’ प्रकृति के देखो खेल अजब हैं, इसके तो हर दृश्य ग़जब हैं। प्रत्येक ऋतु होती अलबेली, अपने में खुद होती पहेली।। आए ग्रीष्म तो छाया भाए, हमने छायादार वृक्ष लगाए।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 71 Share Godambari Negi 5 Feb 2024 · 1 min read 'सशक्त नारी' रानी की तलवार वार से, रिपुदल के गए छक्के छूट । रण-भूमि पर गिर निष्प्राण हुए, कितनों के भाले गए टूट ।। मुग्ल सेना के खट्टे दाँत हुए, करती दुर्गा... Poetry Writing Challenge-2 61 Share Godambari Negi 5 Feb 2024 · 1 min read 'नव संवत्सर' नव यौवन लिए प्रकृति आ गई, तरुवर ने किया पुष्प श्रृंगार। नव संवत्सर ने दरबार सजाया, माँ दुर्गा की रहा आरती उतार।। मंद पवन मंदराचल से चल पड़ी, सहलाती हो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 81 Share Godambari Negi 5 Feb 2024 · 1 min read 'समय का सदुपयोग' खाली बोतल जान समय को, तू ठुकरा मत देना। किस्मत वालों को ही आज ये मिलता, मन भीतर तुम बैठा लेना।। ये दौर है मुश्किल का वर्तमान में, समय कहाँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 84 Share Godambari Negi 5 Feb 2024 · 1 min read 'बेटी' तुझ पर सदा, अभिमान है। जगदीश का, वरदान है।। आराधना, माँ से करूँ। मैं याचना, प्रभु से करूँ। ईश्वर कृपा, तुझपर रहे। माँ की दया, हर क्षण रहे। तू तो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 59 Share Godambari Negi 3 Feb 2024 · 1 min read 'गाजर' (मनहरण घनाक्षरी) शीत ऋतु जब जागी, उगे है गाजर भाजी, लाकरके ताजी-ताजी, खूब रोज खाइए। धोए थोड़ा छीलकर, फिर इसे घिसकर, दूध संग पकाकर, हलवा बनाइए। फूल गोभी बंद गोभी, मटर या... Poetry Writing Challenge-2 · घनाक्षरी 106 Share Godambari Negi 3 Feb 2024 · 1 min read 'कोहरा' (मनहरण घनाक्षरी) शीत का मौसम आया, कोहरा घना है छाया, धूप का दिखे न साया, अलाव जलाइए। धरा पर लगे ऐसे, उतरे बादल जैसे, वाहन चलेगा कैसे, थोड़ा मंद जाइए।। पवन है... Poetry Writing Challenge-2 · घनाक्षरी 135 Share Godambari Negi 3 Feb 2024 · 1 min read 'डमरु घनाक्षरी' 'घन' उमड़-उमड़ घन, लग गरज गगन, तब सनन-सनन, बह चपल पवन। जलज गरज कर, कर धम-धम धम, पसर-पसर तम, सम कजल वसन। बरस-बरस जल ,तल-मल तल-मल, छल-मल छल-मल,भर-भर उपवन। छपक-छपक... Poetry Writing Challenge-2 · घनाक्षरी 79 Share Godambari Negi 3 Feb 2024 · 1 min read 'मुट्ठीभर रेत' चमकता चाँदी सा बालू का खेत। भर लाऊँ मैं बस मुट्ठीभर रेत।। नदिया का सुंदर सा किनारा। प्रकृति का अद्भुत इक नजारा।। मचलता है मन होकर बैचेन। ये ईश्वर की... Poetry Writing Challenge-2 · गीतिका 56 Share Godambari Negi 1 Feb 2024 · 1 min read 'प्रभात वर्णन' देख सूरज लालिमा को, रात उठकर के चली। अब यहाँ क्या काम मेरा , सोचकर आँखें मली।। व्योम में फैला उजाला, खिल रही है हर दिशा। आँख फाड़े देखती है,... Poetry Writing Challenge-2 · गीतिका 99 Share Godambari Negi 31 Jan 2024 · 1 min read 'ग़ज़ल' चलो धीमे कि सुंदर से, नजारे टूट जाते हैं। लगी ठोकर फिसलकर के, पिटारे टूट जाते हैं।। अकेले हो रखो आशा, निराशा से बनेगा क्या। निरंतर कुछ करोगे तो, सितारे... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 54 Share Godambari Negi 31 Jan 2024 · 1 min read 'चाह' हाथ में हाथ हो, चाँदनी रात हो। नाथ से रात में, प्रेम की बात हो। सोचती मैं रहूँ, साथ छूटे नहीं। हों यहाँ संग में, दूर हों या कहीं ।।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 147 Share Godambari Negi 31 Jan 2024 · 1 min read (कहानीकार) "मुंशी प्रेमचंद" चलो मुंशी प्रेमचंद जी की बात करें, जी भरकर हम उनको याद करें। नमक का दरोगा का सा पिता बनें, और गरीब के कफन का इंतजाम करें।। बड़े घर की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 75 Share Godambari Negi 31 Jan 2024 · 1 min read 'भारत पुत्री' जाग- जाग अब बनो आग तुम, उठो नार ले कटार हाथ। शक्ति का आगार अपार तुम, ना दे चाहे कोई साथ। तुम भारत पुत्री वीरवती, खल की कर लो तुम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 74 Share Godambari Negi 29 Jan 2024 · 1 min read 'हार - जीत' हार है तभी तो जीत, जगत की ये ही रीत, अहंकार मारकर, बात को बिसार दे। हार खोलती है द्वार, जीत का यही है सार, करो यत्न बार-बार, कर्म को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 147 Share Godambari Negi 29 Jan 2024 · 1 min read 'नशा नाश का कारण' जीवन कंटक हो जाए, करने जो नशा लगे। लोक लाज पद और नाम, ये सदा उनको ठगे।। सम्मान उसे मिले न कभी, जग सदा उसपे हँसे। कतराते सखा सभी ही,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 51 Share Godambari Negi 29 Jan 2024 · 1 min read 'मेरे गुरुवर' गुरू ज्ञान दिया अज्ञान हरा, आप ने मुझमें प्रकाश भरा। मैं था निरा अज्ञानी गुरवर, आपकी कृपा से पार तरा।। गुण अवगुण की पहचान न थी वाणी में कोई सुर-तान... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 58 Share Godambari Negi 28 Jan 2024 · 1 min read 'माँ' वात्सल्य भाव है सत्य सनातन, इसके बिन दुखित शिशु जीवन। माँ के हृदय में ममता वो बसती, निर्भय हम पलते जिसके उपवन। भरती अपने आँचल में दुख, बच्चों को देती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 69 Share Godambari Negi 27 Jan 2024 · 1 min read 'तपस्वी सुमन' हर पल सोचती हूँ तुम्हें, तुम्हारी मंद मुस्कान को। उगते हुए दैदीप्यमान के स्वागत-सत्कार को लालायित! तुम्हारी बिछने की प्रवृत्ति को। हर पल सोचती हूँ! साँझ होने पर सिकुड़ते तितली... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 89 Share Godambari Negi 27 Jan 2024 · 1 min read 'दोहे' काल चक्र घूमे सदा, करता नहीं विश्राम। हानि-लाभ क्या सोचना, सतत कीजिए काम।।1 सरल रहें व्यवहार में, शुद्ध रखें आचार। क्रोध लोभ मद छोड़ दें, हृदय रखें सुविचार।।2 मन की... Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 140 Share Godambari Negi 27 Jan 2024 · 1 min read 'भारत के लाल' भारत भूमि के लाल, कर गये थे कमाल, काट गए पाक जाल, वाह-वाह जग कहे। काल से बरस पड़े, हिम श्रृंग चढ़ चले, कथा नव गढ़ चले, शत्रु के बंकर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 69 Share Godambari Negi 26 Jan 2024 · 1 min read 'मर्यादा' कर कर्म हो मर्यादित, मर्यादा भंग ना कीजे। देश-धर्म रहे उन्नत, यत्न सभी ये कर लीजे।।१ रखें प्रथम देश हित, काज तब दूजा कीजे। बन मातृभूमि रक्षक, तन-मन अर्पित कर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 93 Share