अनुराग दीक्षित Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनुराग दीक्षित 22 Feb 2024 · 1 min read चलो खुशियों के दीपक जलायें। चलो खुशियों के दीपक जलायें। दीप का पर्व हिलमिल मनायें चलो खुशियों के दीपक जलायें। रामजी जीत लंका को आये देव प्रमुदित हुये मुस्कराये, आज स्वागत में हर्षित दिशायें प्रेम... Poetry Writing Challenge-2 1 98 Share अनुराग दीक्षित 22 Feb 2024 · 1 min read हम भारत के वीर प्रवर हैं, भारत नया बनायेंगे । भारत नया बनायेंगे हम भारत के वीर प्रवर हैं, भारत नया बनायेंगे । नवयुग का निर्माण करेंगे नवप्रभात फिर लायेंगे बिगुल बजा दें हम सब मिलकर तिमिर चीर दिखलायेंगे हम... Poetry Writing Challenge-2 85 Share अनुराग दीक्षित 22 Feb 2024 · 1 min read पग पग दीप करे उजियारा। पग पग दीप करे उजियारा, दूर तिमिर अज्ञान रहे कृपा करें माँ कमला सब पर भरा अन्न भंडार रहे पावन होवे मानस सबका निज मर्यादा मान रहे। पग पग दीप... Poetry Writing Challenge-2 184 Share अनुराग दीक्षित 22 Feb 2024 · 1 min read ये दुनियां दोधारी तलवार। ये दुनियां दोधारी तलवार। मीठी मीठी बनकर करती, बड़े चाव से प्यार, पीछे-पीछे करती देखो छल से वार हजार, समझ न आवे दुनियांदारी क्या है ये करतार। ये दुनियां दोधारी... Poetry Writing Challenge-2 107 Share अनुराग दीक्षित 22 Feb 2024 · 1 min read हुई पावन मेरी कुटिया, पधारे राम रघुराई। हुई पावन मेरी कुटिया, पधारे राम रघुराई। परम सौभाग्य मैं गदगद चकित सुधबुध हि बिसराई अजब है हाल आखिर भाव विह्वल हूँ मै शवरी सा, निहारत नैन भर नैना,निरख छविधाम... Poetry Writing Challenge-2 2 58 Share अनुराग दीक्षित 22 Feb 2024 · 1 min read वन में नाचे मोर सखी री वन में नाचे मोर। वन में नाचे मोर सखी री वन में नाचे मोर। वन में नाचे मोर सखी री मन में नाचे मोर । कैसे कहूँ सखी री मोरी जी में उठे हिलोर... Poetry Writing Challenge-2 57 Share अनुराग दीक्षित 22 Feb 2024 · 1 min read माना डगर कठिन है, चलना सतत मुसाफिर। माना डगर कठिन है, चलना सतत मुसाफिर आयेगी पास मंजिल चलकर के खुद ही आखिर। तेरे साथ चांद तारे तेरे साथ ये जमीं है तुझे सब दिया खुदा नें तेरे... Poetry Writing Challenge-2 67 Share अनुराग दीक्षित 21 Feb 2024 · 1 min read मिट्टी की जय बोल रे मनवा मिट्टी की जय बोल। मिट्टी की जय बोल रे मनवा मिट्टी की जय बोल। मिट्टी है अनमोल धरा पर मिट्टी है अनमोल । सुन्दर उपज अन्न फल, जल पा मुख से फूटें बोल मिट्टी... Poetry Writing Challenge-2 51 Share अनुराग दीक्षित 20 Feb 2024 · 1 min read मन का मीत। मन की आंखों में बसा मेरे मन का मीत, कभी चुरावे नैन वो गाये कभी वो गीत। नहीं वो कुछ भी पूछे शरारत उसको सूझे करे इशारे दूर से कभी... Poetry Writing Challenge-2 1 115 Share अनुराग दीक्षित 20 Feb 2024 · 1 min read अनुपम उपहार । अनुपम उपहार । ” ज्यों हो उपहार कोई अनुपम यूँ आन मिले मुझसे प्रियतम जीवन को नव आयाम मिले जैसे सीता को राम मिले हो पुण्य फलित दें अमित तोष... Poetry Writing Challenge-2 166 Share अनुराग दीक्षित 20 Feb 2024 · 2 min read माँ तुम्हारी गोद में। है सकल संसार मेरा माँ तुम्हारी गोद में , तृप्ति का सागर छुपा है, माँ तुम्हारी गोद में। घूम लूं मैं विश्व सारा या गगन में घूम आऊँ या कि... Poetry Writing Challenge-2 91 Share अनुराग दीक्षित 19 Feb 2024 · 1 min read सुरभित मन्द समीर बहे। वन उपवन मृग भरें कुलांचें , सुरभित मन्द समीर बहे। चहुँ दिश फूल खिलें मनभावन, प्रकृति छटा सर्वत्र रहे। घिरे घटा घनघोर घनेरी मगन मयूरा मस्त रहे वन उपवन मृग... Poetry Writing Challenge-2 133 Share अनुराग दीक्षित 19 Feb 2024 · 1 min read कतरा कतरा बिखर रहा था । कतरा कतरा बिखर रहा था । उधर से होकर गुजर रहा था मैं कतरा कतरा बिखर रहा था । नहीं रहा है वो मिलना मुमकिन जो रोज का सिलसिला रहा... Poetry Writing Challenge-2 108 Share अनुराग दीक्षित 18 Feb 2024 · 1 min read होली खेल रहे बरसाने । होली खेल रहे बरसाने, मेरे नटवर नन्द किशोर । गोपी ग्वाल बाल सब नाचें धूम मची चहुँ ओर होली आई है कन्हाई नाचे मस्त मगन मन मोर होली खेल रहे... Poetry Writing Challenge-2 1 75 Share अनुराग दीक्षित 18 Feb 2024 · 1 min read बेटी बेटी घर में घुसत तो पुकारत चलत चाव, देखत रिझावत सुता वो सुखकारी है धावत झपट चल बाबुल को देवे नीर, कन्या तो स्वभाव से ही पितु की दुलारी है... Poetry Writing Challenge-2 100 Share अनुराग दीक्षित 18 Feb 2024 · 1 min read तुम फिर आओ गिरधारी! तुम फिर आओ गिरधारी! हे मोहन मदन मुरारी, तुम फिर आओ गिरधारी दम्भी का दर्प मिटाया बन गोवर्धन गिरधारी हे मोर मुकुट सिर धारी मन भावे छवि तुम्हारी हे मोहन... Poetry Writing Challenge-2 54 Share अनुराग दीक्षित 18 Feb 2024 · 1 min read तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन।। तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन युवा दिवस युवा शक्ति प्रेरक सकल कर्मयोगी तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन युवाशक्ति जागे कर्म पथ हो आगे सदा कर्म सिंचित हो अपना... Poetry Writing Challenge-2 125 Share अनुराग दीक्षित 18 Feb 2024 · 2 min read प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम। प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम मेरी उल्फत का अहसास कर लो सनम। खत लिखूँगा तो भीगेगा कागज़ का तन प्रेम से हो सराबोर उसका भी मन चुपके... Poetry Writing Challenge-2 109 Share अनुराग दीक्षित 18 Feb 2024 · 1 min read अवध में फिर से आये राम । अवध में फिर से आये राम । आज सब हर्षित हैं पुर ग्राम अवध में फिर से आये राम । रहे त्रेता में वनवासी, तो कलियुग में तम्बूवासी कभी निश्चर... Poetry Writing Challenge-2 62 Share अनुराग दीक्षित 17 Feb 2024 · 2 min read मैं भारत हूं मैं, भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं। मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं। मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं मैं भारत हूं। गौतम का न्याय सूत्र मुझमें,तो... Poetry Writing Challenge-2 56 Share अनुराग दीक्षित 16 Feb 2024 · 1 min read आखिर क्यों सबको भरमाया। क्यों नहीं समझ अब तक पाया क्यों नहीं समझ अब तक आया हर चीज यहाँ पर ठीक बनी हर चीज में है तेरा फेरा पर बहुत समझना है मुश्किल क्या... Poetry Writing Challenge-2 96 Share अनुराग दीक्षित 16 Feb 2024 · 1 min read प्रेम की बात को । प्रेम की बात को मौन जज़्बात को बिन कहे बिन छुये वो समझ जायेगा। राधिके कृष्ण को प्रेम के प्रश्न को कौन समझा है हल कौन कर पायेगा अब न... Poetry Writing Challenge-2 1 48 Share अनुराग दीक्षित 15 Feb 2024 · 1 min read मेरे अधरों का राग बनो । मेरे अधरों का राग बनो कर दो कुसुमित जीवन उपवन दे विहंस चपल चंचल चितवन सौन्दर्य रूप विरचित तन मन सुरभित मृदु मधुर पराग बनो मेरे अधरों का राग बनो... Poetry Writing Challenge-2 97 Share अनुराग दीक्षित 15 Feb 2024 · 1 min read इस तरह रक्षाबंधन मनायेंगे हम। इस तरह रक्षाबंधन मनायेंगे हम। अपनी बहनों को रक्षा का देवें वचन नेह सिंचित करें उनके घर का चमन कल को रह जाय ना पर्व बन कर रसम पूर्ण मन... Poetry Writing Challenge-2 132 Share अनुराग दीक्षित 14 Feb 2024 · 1 min read रूप रस गंध में मैं नहाता रहूं। तुम मेरी जान सजती संवरती रहो रूप रस गंध में मैं नहाता रहूं। चांद के नूर की तुमको दौलत मिले तेरी खुशियों में आनंद पाता रहूं। खिलखिलाती खिली सी चहंकती... Poetry Writing Challenge-2 1 92 Share