पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..! ~~°~~°~~°~~°~~°~~° व्योम उर सा अनंत विस्तृत,स्नेह का साम्राज्य तेरा , आये थे हम,तेरी कृपा से ,पर ये तो है सौभाग्य मेरा। स्वप्न चुन-चुन, द्रव्य गिन-गिन,हसरतें बनाते प्रतिदिन,...
Poetry Writing Challenge · कविता