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हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
गुप्तरत्न
सिर्फ लिखती नही कविता,कलम को कागज़ पर चलाने के लिए //
गुप्तरत्न
तुम ढाल हो मेरी
गुप्तरत्न
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
गुप्तरत्न
गिला,रंजिशे नाराजगी, होश मैं सब रखते है ,
गुप्तरत्न
क्यूं हो शामिल ,प्यासों मैं हम भी //
गुप्तरत्न
जिद कहो या आदत क्या फर्क,"रत्न"को
गुप्तरत्न
दूर तक आ गए मुश्किल लग रही है वापसी
गुप्तरत्न
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है "रत्न"
गुप्तरत्न
ये दूरियां सिर्फ मैंने कहाँ बनायी थी //
गुप्तरत्न
अच्छा लगने लगा है !!
गुप्तरत्न
दफ़न हो गई मेरी ख्वाहिशे जाने कितने ही रिवाजों मैं,l
गुप्तरत्न
सुकूं आता है,नहीं मुझको अब है संभलना ll
गुप्तरत्न
दुनिया तेज़ चली या मुझमे ही कम रफ़्तार थी,
गुप्तरत्न
अब जीत हार की मुझे कोई परवाह भी नहीं ,
गुप्तरत्न
कीमत बढ़ा दी आपकी, गुनाह हुआ आँखों से ll
गुप्तरत्न
शब्दों मैं अपने रह जाऊंगा।
गुप्तरत्न
“गुप्त रत्न”नहीं मिटेगी मृगतृष्णा कस्तूरी मन के अन्दर है,
गुप्तरत्न
मेरा दिल दुखा तो है तुम्हारी बातों से ,
गुप्तरत्न
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ। गुप्त रत्न " " भावनाओं के समंदर मैं "
गुप्तरत्न
Dost
गुप्तरत्न
तो मेरा नाम नही//
गुप्तरत्न
हवायें क़यामत है……………….
गुप्तरत्न
जिंदगी का ये,गुणा-भाग लगा लो ll
गुप्तरत्न
दिलो को जला दे ,लफ्ज़ो मैं हम वो आग रखते है ll
गुप्तरत्न
अलाव
गुप्तरत्न
जाने क्यूँ उसको सोचकर -"गुप्तरत्न" भावनाओं के समन्दर में एहसास जो दिल को छु जाएँ
गुप्तरत्न