Ravi Ghayal Poetry Writing Challenge 26 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read चॉंद और सूरज इक दिल वालों की बस्ती थी जहाँ चांद और सूरज रहते थे। कुछ सूरज मन का पागल था कुछ चांद भी शोख चंचल था। बस्ती बस्ती फिरते थे हर दम... Poetry Writing Challenge 214 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read सुप्रभातम हर पल नया हो .... हर सांस ... महका जाए .... नयी उमंग की खुशबू .... आपके दिल में समा जाए .... सब राज़.... जो बन्द मुट्ठी में हैं ....... Poetry Writing Challenge 441 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read लाश लिए फिरता हूं मैं अपनों से दूर...... बहुत दूर निकल आया हूँ। जो अपने ....... अपने हो कर भी ....... अपने ना हों। उन अपनों में अपना-पन कैसे ढूँढूँ। अब तो यूं लगता... Poetry Writing Challenge 225 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read यूं ही आत्मा उड़ जाएगी पतंगें उड़ रही थीं हाँ ... पतंगें उड़ रही थीं। काली, नीली, पीली, लाल हरी, जामुनी और नारंगी। कि पक्षी जा रहे थे हमें यूं बता रहे थे। यह ज़िन्दगी... Poetry Writing Challenge 255 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read सब विश्वास खोखले निकले सभी आस्थाएं झूठीं मुझ में अपने अरमानों की चिता जलाने का साहस है मेरे गीतों के प्रतीक... प्रतिमान ..... मूल्य... सब टूट गए हैं निर्भय वक़्त की एश-ट्रे में सुंदर सपनों की राख... Poetry Writing Challenge 306 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read जाने किस कातिल की नज़र में हूँ मिट्टी का जिस्म ले के पानी के घर में हूँ . . . मंज़िल मौत है और मैं . . . सफर में हूँ . . . होगा कत्ल मेरा... Poetry Writing Challenge 295 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read घायल तुझे नींद आये न आये ख़ुदा तेरी रहमत का साया बहुत है जरूरी नहीं तू गले से लगाये है काफी बस इतना कि रोयें अगर हम तू दे कर तसल्ली ज़रा मुस्कराए वो शैतान क्यूँ... Poetry Writing Challenge 232 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read जब सांझ ढल चुकी है तो क्यूं ना रात हो सजदे के लिए उठता है ये दस्त हज़ार बार पर सोच के रुक जाता हूँ किसको करूं सलाम उनके आने का ग़ुमां सा होता है न जाने कितनी बार पर... Poetry Writing Challenge 209 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read सब बन्दों की मेहरबानी है मंदिर ने मस्जिद के गले में हाथ डाल कर पूछा ....... . . . कुशल तो है . . मायूस हो कर कहा मस्ज़िद ने.... . . . सब बन्दों... Poetry Writing Challenge 348 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read आँखों से जो टपका अश्क आँखों से जो टपका अश्क वो चुन लिया मैंने तेरे सारे तानों-बानों को सुन लिया मैंने दर्द जो अश्कों में समाया तेरा अपने दिल जिगर में तेरे होंठों के रस्ते... Poetry Writing Challenge 143 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read सब सपना है इस दुनिया में क्या अपना है जो कुछ भी है सब सपना है रब सपना है जग सपना है तू सपना है नाम भी तेरा ..... तो 'सपना' है इस... Poetry Writing Challenge 402 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read ख़ुदा ख़ैर करे खुशी के सुमन तेरी राहों में सनम सदा ही यूं खिलते रहें अब तलक जो रहे इक्कठे रहे सुख-दुःख दोनों को इक्कठे ही मिलते रहे मगर अब हैं होते ज़ुदा... Poetry Writing Challenge 221 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read बंदर का फोड़ा अपने आते थे खाते थे और चले जाते थे और जा कर खिल्ली उड़ाते थे ......मुर्गी अच्छी फंसी इसी लिए आज-कल अपनों को घास डालना छोड़ दिया है अब बेगानों... Poetry Writing Challenge 266 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read बसंत का मौसम °°°°°°°°°°°°°°° बसंत का मौसम है और बागों में बहार है यौवन की मदमस्त आँखों में खुमार है फूलों के चेहरे पे मुस्काह्ट आई है किसी देवकन्या ने ज्यूं ली अंगड़ाई... Poetry Writing Challenge 140 Share Ravi Ghayal 18 May 2023 · 1 min read घायल तुझे नींद आए न आए खुदा तेरी रहमत का साया बहुत है जरूरी नहीं तू गले से लगाये है काफी बस इतना कि रोयें अगर हम तू दे कर तस्सल्ली ज़रा मुस्कराए वो शैतान क्यूँ... Poetry Writing Challenge 252 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read स्वास विहीन हो जाऊं न्याय विहीन पर्याय विहीन समुदाय विहीन चरित्र विहीन इत्र विहीन संकल्प विहीन विकल्प विहीन ....... इस फिज़ा में.... अब जी करता है... स्वास विहीन हो जाऊं दूर....... कहीं ...... खामोश... Poetry Writing Challenge 218 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read पूर्वाभास सागर शान्त, आसमां चुप..... हवा में कोई गूंज नहीं, लहरों में ठहराव.... हर तरफ सन्नाटा। मानो... तूफान आ रहा। सब कुछ नष्ट हो जायेगा... कुछ भी नहीं बचेगा... न कोई... Poetry Writing Challenge 121 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read तू भी मैं और मैं भी तू मैं हर जगह बसता हूं तुझ में भी तेरे दिल में भी। संसार के कण-कण में हर जीव और निर्जीव के तन में। मैं उन आंखों में भी बसता हूं... Poetry Writing Challenge 82 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read मेरे लिए आज का भगवान पत्थरों का शहर ... पत्थरों से घिरा ... पत्थरों के पुजारी सभी हैं यहाँ मगर..... केवल सनम या इन्सान ही पत्थर के नहीं बल्कि भगवान भी पत्थरों के बनाए जाते... Poetry Writing Challenge 79 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read तस्कर-तस्कर भाई है मैं... देखता हूं, सुनता हूं, दुनियां की हरकतें। दुनियां पागल है.... पैसे का दामन, छोड़ना नहीं चाहती... प्रेम के इन धागों को, छोड़ना नहीं चाहती। जाने क्यों... स्वयं को बन्धन... Poetry Writing Challenge 96 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read मैं बेगानों में पलता हूं आजकल... अपनों ने साथ चलना, छोड़ दिया है। बेचारे कब तक साथ चलते? जीवन के ऊबड़-खाबड़, रस्तों में.... साथ चलने वाले... सभी... अपने तो नहीं होते। सफ़र के हर साथी... Poetry Writing Challenge 68 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read बे-नूर मैं... देखता हूं, आकाश में चमकते... असॅंख्य-अनगिनत, सितारे। अपनी ही... टिमटिमाहट में मग्न। मानो... काली चादर पर, मोती जड़े हों। तब... मैं, तुम्हारी तरफ घूमता हूं, तेरी ऑंखों में झांकता... Poetry Writing Challenge 122 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read छोड़ दूं क्या..... हूँ तन्हा, तो निकलना छोड़़ दूँ क्या, मैं सूरज हूँ, चमकना छोड़़ दूँ क्या.... बुझूंगा एक दिन, ये जानता हूँ, मगर इस डर से, जलना छोड़़ दूँ क्या..... नहीं रहता... Poetry Writing Challenge 1 315 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read मेरी-तेरी पाती *कुछ प्रश्न गुदगुदाते हैं, अच्छा लगता है।* जब उन प्रश्नों के उत्तर जब पा जाओगे.... तो कल्पना करो, कैसा लगेगा। *जब आप मुस्कराते हैं, अच्छा लगता है।* मेरे मुस्कराने की,... Poetry Writing Challenge 167 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 2 min read स्वाल तुम्हारे-जवाब हमारे *कोई तो हो ऐसा, जो सिर्फ मेरा हो।* मांगो जो जान, तो... जान दे देंगे। अपना जो बना लोगे... तो जहां हम दे देंगे। *बातों में उसकी खुशबू हो दिल... Poetry Writing Challenge 151 Share Ravi Ghayal 16 May 2023 · 1 min read शब्द शब्द °°°°° आओ शब्दों को हम जीवन की धरती से उठा कागज़ की धरती पर ले आयें अथवा पॉंवो से कुचलने की बजाऐ उन्हें सहेज कर किसी सुरक्षित जगह रख... Poetry Writing Challenge 71 Share