abhinandan
एक अबोध बालक
#justareminderekabodhbalak
#drarunkumarshastriblogger
कला है ये भी जो एक
साहित्य के नाम से विख्यात है //
कल्पना की तूलिका से
भावों का सृजन जन्मजात है //
दृढ़ विवेक का दृष्टान्त
कागज़ पर उकेरा जाता है //
लहू का रंग एक एक
शब्दों में उतरा जाता है //
छु पाती है तब कहीं
ये कोमल भावों को साहिब //
लाखों दिलों में जब इस तरर्हां
दर्द को उभारा जाता है //