आस
साहित्यकारों के लिए बनी इस साइट का एक बार अवलोकन जरूर करें । अगर पसंद आये तोअपनजागती काली रातें ,आखों से नीदें रूठी
घुटी घुटी सी साँसे ,अश्कों की लड़ी छूटी
रात का सन्नाटा ,और गूँजती हैं चीखें
मन में जो यादों की ,ज्वालामुखी हैं फूटी
चुभती हैं बस बदन को ,यादों की सिलवटें
जब डोर उम्मीदों की ,हाथों से जाये छूटी
भूलकर हकीकत ,जीने लगे जो सपने
अपने ही हाथ अपनी ,फिर जिंदगी हैं लूटी
मांग कर कुछ लम्हे ,जीना जो साथ चाहा
मुहं फेर कर कहा है ,लगाओ ना आस झूठी
दिखती नही किसीको .,ऐसी सजा मिली हैं
हैं जुर्म बहुत भारी, जिसकी सजा अनूठी
इक पल लगे सदी सा ,रात कैसे गुजरे
कटते नहीं हैं पल अब ,जीने की आस टूटी
नूतन’ज्योति’