___मंजिल____
राही अपनी राहों पर _
सदा ही चलते जाना।
“मंजिल”
जब तक मिल न जाए ।
कदम न पीछे हटाना।।
“मंजिल” ही तो लक्ष्य है तेरा,
सांझ हो चाहे सवेरा।
कदमताल तेरी चलती रहे ,
कितने ही लगे चाहे फेरा।।
आज नहीं तो कल ही सही,
मिट जाएगा सारा अंधेरा।।
“मंजिल” ही “मंजिल” हो मन में।
पाकर इसको,
खुशियां सारी,
तुझको तो है पाना।
कदम पीछे हटाना ।।
राही अपनी राहों पर ,
सदा ही चलते जाना।।
राजेश व्यास “अनुनय”