__4__भीख नहीं मांगूंगा
जीवन वृत्त पर लाख परेशानियां हों,
हर क्षण नई कहानियां हों,
भले भाग्य में लिखी गुमनामियां हों,
कभी नहीं भरे वो खाइयां हों,
स्वभाग्य को ख़ुद से रच लूंगा,
पर भीख नहीं मांगूंगा।।
जब से अपने ही मेरे अपने ना रहे,
तबसे सपने भी मेरे सपने ना रहे,
अखियों से अश्क लहू बन बहें,
लोग फिर भी बेगैरत कहें,
तन्हा ही सही जी लूंगा,
पर भीख नहीं मांगूंगा।।
माया का मैं दास नहीं हूं,
कल के लिए उदास नहीं हूं,
राजनीकर रवि की ख्वाहिश नहीं है,
खो दूं ऐसी कुछ गुंजाइस नहीं है,
हालातों से लड़कर सीख मांगूंगा।
पर भीख नहीं मांगूंगा।।