_12_आपका शुक्रिया
हम भटक रहे थे अंधेरी गलियों में,
रोशनी की किरण दिखाई आपने,
आपका शुक्रिया।।
जीने की तमन्ना लूट ली ज़माने ने,
हमको जीना सिखाया आपने,
आपका शुक्रिया।।
झूंठ का राज़ था दुनियां में हमारी,
सच का आइना दिखाया आपने,
आपका शुक्रिया।।
बचपन से रहनुमी की आदत थी हमें,
मिल्कियत करना सिखाया आपने,
आपका शुक्रिया।।
दिल भटक रहा था मोहब्बत की चाहत में,
मोहब्बत के काबिल बनाया आपने,
आपका शुक्रिया।।