_कामयाबी_
_कामयाबी_
कामयाबी —
तेरा इश्क़ और जुनून दोनों चढ़ गए हैं।
इस क़दर चढ़ गए हैं कि
ना तो रात को सोना ,
और दिन भर तुझे पाने की उम्मीद ढोना।
कामयाबी,
मेरी इस क़दर रातों को नींद छीन ले गई
कि चाह कर भी ना सो सके।
हाँ माना, कामयाबी का रस्सा चढ़ रही हूँ,
हाँ माना, एक ना एक दिन ये हासिल कर ही लेंगे,
हाँ, लेने दो जिंदगी को, इम्तिहान,
हाँ, कामयाब होंगे, उस दिन बतायेंगे, जिन्दगी को,
हाँ माना, असफलताएँ मिलेंगी,
हाँ, मेरा ये वादा रहा कि जिंदगी से भी उठ जाऊँगी,
हाँ माना, होगा नाम इधर-उधर, तो लोग जश्न मनाएंगे,
वो फ़िर रातें भी छोटी पड़ जाएंगी,
एक वक्त था, जब हम कहते थे कि
कब रातें गुजरें ,
हाँ, मेरी माँ ने कामयाबी का दूसरा नाम ‘इज़्ज़त’ बताया है ।
हाँ मेरी माँ की वो रात,
जसन वाली होंगी |
— रितु चाहर