986 कर हिम्मत
क्यों डुबो रखा है खुद को ,नशे के जाल में।
कर हिम्मत और खुद को इस भँवर से निकाल ले।
जिंदगी हो जाएगी खत्म यूँ ही बेहोशी में,
कर हिम्मत और खुद को होश में डाल ले।
अपनी जान को खुद की ही अमानत ना समझ।
इस पर हक किसी और का भी है ,ये जान ले।
सँभाल खुद को तू इस देश की धरोहर है।
कर हिम्मत ,निकल भँवर से इस देश का कर्ज उतार दे।