93. ये खत मोहब्बत के
तू मेरी राधा,
मैं तेरा कृष्णा ।
तेरा ही लगा है,
मुझको ये तृष्णा ।।
जाने अनजाने में जानम ,
मैं तुमसे प्यार कर बैठा हूँ ।
क्या गुस्ताखी हो गई मुझसे ?
जो तुझसे आँखें चार कर बैठा हूँ ।।
मैं प्रेम करता हूँ तुमसे,
तुम क्यों, करती हो नफरत ?
तेरा दिल मैं जीतने का,
रखता हूँ सदा हसरत ।।
नाराज ना होना मुझसे तुम,
करता हूँ मोहब्बत तुमसे ।
तेरे प्यार में पागल हो गया हूँ,
देखा हूँ तुमको जबसे ।।
तुझे अपना बनाऊँगा,
मैंने कह दिया है रबसे ।
मेरा प्रेम इतिहास बनेगा,
ऐलान कर दिया मैं सबसे ।।
मुझे जो ना मिली तुम तो,
मैं अपनी जान दे दूँगा ।
जाते जाते मैं तुझको,
अपनी मोहब्बत का ईनाम दे दूँगा ।।
आने वाला कल मेरे,
इस पल को याद करेंगे ।
चाहे तो इससे दुर रहेंगे,
नहीं तो टूट पड़ेंगे ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 31/01/2021
समय – 04 : 24 ( शाम )
संपर्क – 9065388391