9) दिल कहता है…
दिल कहता है
तू दीया मैं बाती बन जाऊँ,
पर प्यार कहता है नहीं
बाती तो जल जाती है
दीये को तन्हा छोड़ कर।
दिल कहता है
तू शमा मैं परवाना बन जाऊँ,
प्यार कहता है
शमा तो जला देती है परवाने को ही।
दिल कहता है
चाँद बन जाऊँ,
तन्हा रात में तुझे निहारूँ,
पर प्यार कहता है
फ़कत रात में ही क्यूँ?
दिल कहता है
तू फूल मैं खुशबू बन जाऊँ,
पर प्यार कहता है
फूल तो मुरझा जाता है
खुशबू छोड़ कर।
दिल कहता है
परछाईं बन जाऊँ तेरी,
प्यार कहता है
कड़ी धूप में तो परछाईं भी
छोड़ जाती है साथ।
कुछ नहीं और कुछ भी नहीं,
मैं तू तू मैं बन जाएँ,
दो दिल एक अरमान बन जाएँ,
दो जिस्म एक जान बन जाएँ,
तू दिल मैं तेरी धड़कन बन जाऊँ,
तेरी रूह तेरी साँस बन जाऊँ,
तेरे होंठों की मुस्कुराहट बन जाऊँ,
तेरी नींद तेरे ख़्वाब बन जाऊँ,
तू मैं मैं तू बन जाऊँ।
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नेहा शर्मा ‘नेह’