Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Feb 2024 · 1 min read

9) “जीवन एक सफ़र”

जीवन एक सफ़र ही,मंज़िल मेरी दिखाता है।
सिखा देता यह अदभुत सफ़र, सीखा कर नहीं कोई लाता है।

प्रारम्भिक कदम परिवार है,मनुष्य को चलना सिखाता है।
मंज़िल तो दूर रहती, मानव ज़रूर बनाता है।
आदर-सम्मान वं अनुशासन का पाठ पढ़ा कर,
उचित अनुचित मूल्यों को सम्माहित भी कर जाता है।
जीवन है सफ़र ही मंज़िल मेरी दिखाता है॥

बुराई अच्छाई को,झूठ सच्चाई को,जीत की परिभाषा सिखाता है।
सर्वोपरि है दया, प्रेम, करूणा का भाव,
मनुष्य से मानव एंव इंसान से इंसानियत बनाता है।
जीवन है सफ़र ही मंज़िल मेरी दिखाता है॥

सवार्थमूलक से परार्थमूलक जीवन का आधार होता है।
उपलब्धि का सफ़र है मंज़िल, अदभुत रचना का स्वामी मानव,
साकारात्मक सोच अपनाता है।
जीवन है सफ़र ही मंज़िल मेरी दिखाता है॥

रास्ते ग़र टेड़े मेड़े, पत्थरों से मिलवाता है।
थक कर बैठ जाना नहीं, मुरम्मत भी करना सिखाता है।
जीवन है सफ़र ही मंज़िल मेरी दिखाता है॥

उँगलियाँ बनी कलम मेरी, लिखने को हाथ उकसाता है।
हर पल लिखना चाहूँ ग़र शब्दों से पन्ना भर जाता है।
सफ़र मेरा कुछ अंजाना,कछ पहचाना सा,
सकून है लेखन,मंज़िल मेरी दिखाता है।
जीवन है सफ़र ही मंज़िल मेरी दिखाता है॥

✍🏻स्व-रचित/मौलिक
सपना अरोरा ।

Language: Hindi
116 Views
Books from Sapna Arora
View all

You may also like these posts

4410.*पूर्णिका*
4410.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रोला छंद. . . .
रोला छंद. . . .
sushil sarna
हक जता तो दू
हक जता तो दू
Swami Ganganiya
मीठा सीधा सरल बचपन
मीठा सीधा सरल बचपन
Ritu Asooja
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
हे गणपति श्रेष्ठ शुभंकर
हे गणपति श्रेष्ठ शुभंकर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
_ऐ मौत_
_ऐ मौत_
Ashwani Kumar Jaiswal
संविधान से, ये देश चलता,
संविधान से, ये देश चलता,
SPK Sachin Lodhi
हमको भी ख़बर
हमको भी ख़बर
Dr fauzia Naseem shad
नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन
नवल वर्ष का नवल हर्ष के साथ करें हम अभिनंदन
Kanchan Gupta
आँखों में सपनों को लेकर क्या करोगे
आँखों में सपनों को लेकर क्या करोगे
Suryakant Dwivedi
"बस्तर शिल्प कला"
Dr. Kishan tandon kranti
दीवार
दीवार
अखिलेश 'अखिल'
हनुमान वंदना/त्रिभंगी छंद
हनुमान वंदना/त्रिभंगी छंद
guru saxena
"सम्वेदनशीलता"
*प्रणय*
लाल उठो!!
लाल उठो!!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जाति
जाति
Ashwini sharma
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
कवि रमेशराज
आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था,
आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कौन बताता है नदियों को
कौन बताता है नदियों को
भगवती पारीक 'मनु'
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
Keshav kishor Kumar
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
Jyoti Khari
कविता
कविता
Sonu sugandh
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है
Saraswati Bajpai
भाग्य प्रबल हो जायेगा
भाग्य प्रबल हो जायेगा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुझको निभाना होगा अपना वचन
मुझको निभाना होगा अपना वचन
gurudeenverma198
अकेला तू शून्य
अकेला तू शून्य
Mandar Gangal
कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
कान्हा मेरे जैसे छोटे से गोपाल
Harminder Kaur
अमृतमयी प्रेम
अमृतमयी प्रेम
Nitin Kulkarni
*संविधान-दिवस 26 नवंबर (कुंडलिया)*
*संविधान-दिवस 26 नवंबर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...