9. क्यूँ है ?
ये मेरी आँखों में मुसलसल बरसात क्यूँ हैं।
ये मेरे धड़कते दिल में इतने जज़्बात क्यूँ हैं।।
छोड़ ज़िन्दगी में न जाने कितनी दूर चले गए।
मेरे साथ तू नहीं पर तेरी यादों की बारात क्यूँ हैं।।
हर दिन कट जाती है शोरोगुल के माहौल में।
तन्हाई के आलम में अब बेचैन हर रात क्यूँ हैं।।
नींद भूले से गर ले गयी मुझे अपनी आगोश में।
तो ख़्वाब में दो रूहों में होती मुलाक़ात क्यूँ हैं।।
अश्कों ने धो डाले हैं मिरे दिल के सुर्ख़ दीवारों को।
फिर दो दिलों के मिलने के होते ख़यालात क्यों हैं।।
आँखों से बरसता दरिया मुझे बहा न ले जाये कहीं।
ऐ मेरे ख़ुदा! इस मर्ज़ में होते ऐसे हालात क्यों हैं।।
मो• एहतेशाम अहमद,
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया