Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2024 · 1 min read

7. *मातृ-दिवस * स्व. माँ को समर्पित

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

क्या लिखूँ तुम्हारे लिए मैं ‘माँ’
भूल चुकी तुम कैसी थी!
अल्फ़ाज़ नहीं है लिखने को…
तुम्हारी सूरत और सीरत कैसी थी।

दुनिया दिखाई तुमने मुझे…
दुनियादारी भी तो सिखा जाती।
क्यों हो इतनी जल्दी जुदा,
काश! कुछ समय तो साथ बिता जाती।

क्या होता है माँ- बेटी का रिश्ता…
इस जीवन में नहीं मैं जान पाई।
इस स्नेह-बंधन के अहसास से….
क्यों मै अपना आंचल नहीं भर पाई।

तुम्हारे बिन इस जग में….
एक-एक कदम चलना मजबूरी है ।
अब ख्वाहिशें तो ….
‘मधु’ सब चाहे पूरी है ,
मगर फिर भी तुम्हारे बिन “माँ” …
जिंदगी हरपल अधूरी है।

क्या लिखूँ तुम्हारे लिए मैं ‘माँ’
भूल चुकी तुम कैसी थी!
अल्फ़ाज़ नहीं है लिखने को…
तुम्हारी सूरत और सीरत कैसी थी।

दुनिया दिखाई तुमने मुझे…
दुनियादारी भी तो सिखा जाती।
क्यों हो इतनी जल्दी जुदा,
काश! कुछ समय तो साथ बिता जाती।

क्या होता है माँ- बेटी का रिश्ता…
इस जीवन में नहीं मैं जान पाई।
इस स्नेह-बंधन के अहसास से….
क्यों मै अपना आंचल नहीं भर पाई।

तुम्हारे बिन इस जग में….
एक-एक कदम चलना मजबूरी है ।
अब ख्वाहिशें तो ….
‘मधु’ सब चाहे पूरी है ,
मगर फिर भी तुम्हारे बिन “माँ” …
जिंदगी हरपल अधूरी है।

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

74 Views
Books from Dr .Shweta sood 'Madhu'
View all

You may also like these posts

"रूहों के सफर में"
Dr. Kishan tandon kranti
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
ये आसमा में जितने तारे हैं
ये आसमा में जितने तारे हैं
डॉ. दीपक बवेजा
गहरे हैं चाहत के ज़ख्म
गहरे हैं चाहत के ज़ख्म
Surinder blackpen
मां तो फरिश्ता है।
मां तो फरिश्ता है।
Taj Mohammad
कविता
कविता
Nmita Sharma
हो गये अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे
हो गये अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे
gurudeenverma198
गीत- लगे मीठी जिसे भी प्रेम की भाषा...
गीत- लगे मीठी जिसे भी प्रेम की भाषा...
आर.एस. 'प्रीतम'
मीठा जीतना मीठा हो वह घातक विष बन जाता हैं
मीठा जीतना मीठा हो वह घातक विष बन जाता हैं
Er.Navaneet R Shandily
मैं अक्सर शायरी लिखता हूँ
मैं अक्सर शायरी लिखता हूँ
शिव प्रताप लोधी
तेरी आंखों की बेदर्दी यूं मंजूर नहीं..!
तेरी आंखों की बेदर्दी यूं मंजूर नहीं..!
SPK Sachin Lodhi
कह मुक़री
कह मुक़री
Dr Archana Gupta
सजग  निगाहें रखा करो  तुम बवाल होंगे।
सजग निगाहें रखा करो तुम बवाल होंगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ये अमावस की रात तो गुजर जाएगी
ये अमावस की रात तो गुजर जाएगी
VINOD CHAUHAN
बस प्रेम तक है, बाकी प्रेम का प्रेमविवाह में बदलने के प्रोसे
बस प्रेम तक है, बाकी प्रेम का प्रेमविवाह में बदलने के प्रोसे
पूर्वार्थ
भुट्टे हैं सेहत के देसी नुस्खे
भुट्टे हैं सेहत के देसी नुस्खे
Sarla Mehta
हरेली तिहार
हरेली तिहार
पं अंजू पांडेय अश्रु
अब किसी से कोई शिकायत नही रही
अब किसी से कोई शिकायत नही रही
ruby kumari
"" *नवीन नवनीत* ""
सुनीलानंद महंत
पंचांग (कैलेंडर)
पंचांग (कैलेंडर)
Dr. Vaishali Verma
दुनिया में तमाम लोग उतने आदर के योग्य होते नहीं, जितना उन्हे
दुनिया में तमाम लोग उतने आदर के योग्य होते नहीं, जितना उन्हे
*प्रणय*
3878.💐 *पूर्णिका* 💐
3878.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
- मोहब्बत जिंदाबाद -
- मोहब्बत जिंदाबाद -
bharat gehlot
जब बनना था राम तुम्हे
जब बनना था राम तुम्हे
ललकार भारद्वाज
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
वातायन के खोलती,
वातायन के खोलती,
sushil sarna
मधुब्रत गुंजन: एक अनूठा उपहार
मधुब्रत गुंजन: एक अनूठा उपहार
Sudhir srivastava
*******अधूरे अरमान*******
*******अधूरे अरमान*******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक चाय हो जाय
एक चाय हो जाय
Vibha Jain
मूक सड़के
मूक सड़के
Madhu Shah
Loading...