झूठ सच से क्या बोलता रहा
झूठ सच से क्या बोलता रहा
सच सच न रहा झूठ बन गया
नफरतों की आंधियों में प्यार
दुआ न हुआ टूटकर रह गया
लम्हा जो मासूम था रो पड़ा
बांध न पाया वक्त को खो गया
हम समय की गर्त में ढूंढते रहे
खारा पारी था उजाड़कर बह गया
झूठ सच से क्या बोलता रहा
सच सच न रहा झूठ बन गया
नफरतों की आंधियों में प्यार
दुआ न हुआ टूटकर रह गया
लम्हा जो मासूम था रो पड़ा
बांध न पाया वक्त को खो गया
हम समय की गर्त में ढूंढते रहे
खारा पारी था उजाड़कर बह गया