छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई लिखता है
मेरी प्रीत जुड़ी है तुझ से
निंदा वही लोग करते हैं, जिनमें आत्मविश्वास का
तुम्हारी सब अटकलें फेल हो गई,
कई युगों के बाद - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
उदासियां बेवजह लिपटी रहती है मेरी तन्हाइयों से,
अब कुछ चलाकिया तो समझ आने लगी है मुझको
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
मुक्तक-विन्यास में एक तेवरी
जो भी सोचता हूँ मैं तेरे बारे में
प्यार में लेकिन मैं पागल भी नहीं हूं - संदीप ठाकुर
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आप अपनी नज़र फेर ले ,मुझे गम नहीं ना मलाल है !
Hallucination Of This Night