प्रीति की राह पर बढ़ चले जो कदम।
हो तुम किस ख्यालों में डूबे।
*लय में होता है निहित ,जीवन का सब सार (कुंडलिया)*
छोड़ गया था ना तू, तो अब क्यू आया है
लोग तो मुझे अच्छे दिनों का राजा कहते हैं,
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भावों को व्यक्त कर सकूं वो शब्द चुराना नही आता
सच को तमीज नहीं है बात करने की और