आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति
*करते श्रम दिन-रात तुम, तुमको श्रमिक प्रणाम (कुंडलिया)*
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
मौसम का क्या मिजाज है मत पूछिए जनाब।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
लेखन की पंक्ति - पंक्ति राष्ट्र जागरण के नाम,
Anamika Tiwari 'annpurna '
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
अमर शहीदों के चरणों में, कोटि-कोटि प्रणाम
बस मुझे मेरा प्यार चाहिए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
लगा जैसे उसकी आंखों में सारा समंदर समाया हो,
"Life has taken so much from me that I'm no longer afraid. E
पेपर लीक का सामान्य हो जाना
दोहे-मुट्ठी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
संवेदना सहज भाव है रखती ।
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।