6 दिसंबर 1992 को इतिहास का ये बडा़ बदलाव हुआ था जिस पर अब श्री रामलला विराजमान होंगें , विध्वंस के सारे आरोपी भी निर्दोष कोर्ट का फैसला आया | क्या थे तथ्य जाने ?
यह इतिहास तो सबको ज्ञात है कि अफगानी आक्रांता महमुद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया गुजरात स्थित महादेव के सोमनाथ का मंदिर तोड़ने के लिए , महिलाओं का बलात्कार करने तथा उन्हे अपनी रखैल बनाकर गजनी ले जाने के लिए , भारत से स्नातन को खत्म कर इस्लामिक बनाने के लिए , भारत कि धन संपदा लुटकर ले जाने के लिए आदि कई कारणों से | यह तथ्य इतिहास में दर्ज है कि गजनवी जब 17वी बार सोमनाथ का मंदिर लुटने और तोड़ने के लिए आया तो वहा के राजा और उनकी सेना के अलावा महमुद गजनवी ने 50 हजार से ज्यादा मात्र ब्राम्हणों की हत्या की और इनकी सभी मांओं बहनों बेटियों बहूओं को गुलाम बनाकर गजनी ले गया | इसके बाद तुर्क आक्रांता तैमुर लंग जिसे तैमुर लंगडा़ भी कहा जाता है वह भारत पर आक्रमण करने अपनी सेना के साथ आया यहा कि महिलाओं का बलात्कार करने के लिए और महिलाओं को अपना गुलाम बनाकर ले जाने के लिए | इस तैमुर लंगडे़ के बारे में लिखित है कि इसने और इसकी सेना ने लगभग 1 लाख से ज्या बलात्कार किए और कई हजारों कि तादाद में महिलाओं को गुलाम बनाकर ले गया | यही नही इस्लामिक कट्टरपंथी इस मजहवी आतंकी ने हजारों मंदिरों को तो़डा और बल पुर्बक लोंगों को मुसलमान बनाया | तैमुर लंगडे़ के बारे में यह बात आप जानेंगें तो आपके होश उड़ जाएंगे यह भारत के जिस भी शहर में जाता था बहा लोगों के सिर कटवाता था और सिरों का पिरामिड बनवाता था उसपर अपनी कुसी रखवाकर बैठता था तथा अपने आक्रांता सैनिकों कों और अथिक हत्याए करने , धन का लुटपाट करने और लोंगों को जबरन मुसलमान बनाने के लिए प्रोतसाहित करता था | यह तथ्य भी आहत करने वाला है कि इसी की इन अंधी हत्याओं का परिणाम था कि इस कालखंण्ड में दुनियां कि जनसंख्या 5 प्रतिशत तक घट गयी थी |
उपर मैने आपको इतिहास की जो कुछ छोटी बर्बरताएं बताई हैं वो इसलिए कि आप भारत में इस्लामिक आक्रमण की असली वजह समझ सके | इसी तरह का एक आक्राता था बाबर जो अफगानी मंगोल इस्लामिक कट्टर मुसलमान था | उसने जब दिल्ली पर अपना कब्जा कर लिया तो बाबर का सेनापति इसके आप पास के क्षेत्रों को जीतने और काफिरों (स्नातनी हिन्दुओं) को खत्म करने के मक्सद से भ्रमण पर सेना के साथ निकला | इसी कडी़ में वह अयोध्या पहूंता | उसने वहा मंदिर के पुजारियों इनके परिवारों तथा मंदिर की रक्षा कर रहे पहरेदारों की हत्या करवी दी तथा प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर तुड़वा दिया एवं उसी मंदिर के अवशेषों का उपयों करके जल्दबाजी में बाबर के नाम की बाबरी मस्जिद बनवा दी | तब से लेकर यह मस्जिद प्रभु श्री राम की जन्मभुमी पर 6 दिसंबर 1992 तक रही जब तक इसको इसके सही अंजाम तक नही पहूंचाया गया | हालॉकि इस अबैथ कब्जे को खत्म करने में हमें 450 से ज्यादा वर्ष लगे , दंगा फसाद हुआ शांति प्रीय समुदाय के द्वारा और बहुत लौगों को अपनी जान गवानी पडी़ मगर फिर भी नोकिली जमीन समतल कर दी गई और अबैथ कब्जा खत्म कर दिया गया सामाजिक तौर पर |
आरकेलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने भी अपने सर्वे में माना था कि विवादित ढाचें के निचे एक संरचना मौजुद है | वहरहाल 9 नवंबर 2019 को इस 500 साल पुराने विवाद का फैसला आया और रामलला को उनकी जमीन वापस मिल गई और अब तो मंदिर निर्माण का मुमि पुजन भी देश के प्रथानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्री राम जन्मभुमि तीर्थ क्षेत्र विकास ट्रस्ट के आग्रह पर कर चुके हैं | कुछ लोंग जब फैसला सत्य के पक्ष में आया तो कह रहे थे कि हमारी मस्जिद शहिद होगयी हमें अपनी मस्जिद वापस चाहिए तो मुझे लगता है कि उनसे यह सबाल पुछा जाना चाहिए था कि क्या ? भारत के अलावा भी पुरी इस्लामिक दुनियां में कहीं और मस्जिदें शहिद होती हैं या बस भारत में हुई हैं , क्यों कि अरब देशों में तो मस्जिदें रोज बनती और टुटती हैं निर्माण कार्यों के लिए जिनकी तस्वीरें और विडियों सोसल मिडिया और बेबसाइटो पर उपलब्ध हैं तो क्या वहा भी कोई उनके शहिद होने का मातम मनाता है |
कल 30 सितंबर 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत ने विध्वंस के मामले पर फैंसला सुनाया और सभी आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया | 6 दिसंबर 1992 के 32 साल बाद इस मामले की हर एक गांठ खोल दी गई है और अब श्री राम मंदिर का निर्माण कार्य भी प्रारंभ होगया है तो यह कह सकते हैं कि लगभग 500 वर्ष पुराना विवाद कई शदियों के बाद शांति पुर्वक सुखद पडा़व पर आकर खत्म हो रहा है और यहा से इसिहास के नए बदलावों की शांति पुर्वक और सुखद उम्मीद कि जा सकती है |