57…Mut qaarib musamman mahzuuf
57…Mut qaarib musamman mahzuuf
fa’uulun fa’uulun fa’uulun fa’al 122 122 122 12
हँसी चेहरा से सामना हो गया
बिना कुछ कहे सब अता हो गया
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हमारे उसूलों तलाशी करो
ये खोना भी अब,सिलसिला हो गया
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हमी से गुलामी कराने लग़ा
यहाँ बादशा साथ का हो गया
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मना लूँ तसल्ली से उसको अभी
कहीं दूर का फासला हो गया
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कहीं मातमी धुन सुना तो लगा
शहादत नुमा हादसा हो गया
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दबे पाँव चल के,गया था कहीं
शिकारी वही, लापता हो गया
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नही जानता वो किसी प्यार को
वही अजनबी बारहा हो गया
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
susyadav7@gmail.com
7000226712