52…..रज्ज़ मुसम्मन मतवी मख़बोन
52…..रज्ज़ मुसम्मन मतवी मख़बोन
मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन 2112 1212 2112 1212 29.3.24
लूट लिया है तुमने फिर, देश को अपनी चालों से
धोखे हमे मिले हैं, मक्कार बने दलालों से
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खौफ जदा रहे मगर, मुर्दे गड़े उखाड़े कब
खूब प्रहार झेलते, लिपटे रहे कँकालो से
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आज तो कायनात में, जोर लगा के रहता तू
सीख नहीं सका कभी, पांव तलों के छालों से
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हमने भी खाई कसमे, छोड़ेंगे उसे कभी नहीं
रंग जमा के रखने वाला ही, है डरा गुलालो से
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पांव बंधे जहाँ वहीं हथकड़ी भी लगा रखो
देश निकाला करने वालो ये भी सुनते सालों से
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मन को बड़ी यहाँ हिदायत, सुविधा नहीं जरा
तोड़ कहाँ निकाल पाते, दुविधा के तालों से
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
susyadav7@gmail.com
7000226712