5 लाल हमने खोये
5 लाल हमने खोये
नए साल का था आगमन,औऱ खुशियां थी चहुँ ओर।
कहीँ मिठाई बट रही, ढोल नंगाड़ो का था कहीं शोर।।
नाच गा कर उस रात हम सब नींद चैन की सोये थे।
पुलवामा में सीआरपीएफ के, 5 लाल हमने खोये थे।।
माओं की गोद हुई सूनी, सिंदूर पूत जाता है मांगो का।
बहने हुई बिन भाइयो की, कब अंत होगा हंगामों का।।
2017 में हम पूरे अपने, ब्यासी जवान खो चुके है।
जाने कब जागेंगे हम, कुम्भकर्णी नींद सो चुके है।।
तीन तलाक के बिल पर, तो कितना लग रहा है जोर।
नए साल का था आगमन, खुशियां थी चहु ओर।।
लोकसभा में तो हुआ पारित, राज्यसभा की बारी है।
सीमा पर जो डटे खड़े, क्या सरकार उनकी आभारी है।।
जाधव की माँ बीवी के, छीने थे चूड़ी ओर मंगसूत्र।
क्या गलती थी उस माँ की, देखने गयी थी अपना पुत्र।।
खोकर लाल रोज-रोज, ये अपना घर खुद ही ढाते है।
तीन तलाक का बिल लेकर, औरों का घर बसाते हैं।।
सो गए जो चीर निंद्रा में, देख ना पाएंगे कभी भी भोर।
जवानों का परिवार पूरा, आंसू गिरा रहा ज्यूँ मोर।
आँखे खोलकर देख “मलिक”, ये रहे बेचारे दर्द बटोर।
कहीं मिठाई बट रही, ढ़ोल नंगाड़ो का था कहीं शोर।।
“सुषमा मलिक”