5. न करो !
दर्द को दर्द से यारों बटवारा न करो।
ऐसी गुस्ताखी फिर दुबारा न करो।।
ज़िन्दगी तो फिसलती रेत है दोस्तों।
फ़िज़ूल में हर बात का पिटारा न करो।।
ख़ुदा ने बड़े प्यार से है तुझे पैदा किया।
उसकी ख़ुदाई को यूँ नकारा न करो।।
रास्ते को है तुम्हें गर मंज़िल दिखाना।
कश्ती को साहिल पे किनारा न करो।।
ग़म के समंदर में डूब न जा तू हमेशा।
यूँ ज़ख्मों को मन में सँवारा न करो।।
खुद से प्यार करना तू सीख ले प्यारे।
नफ़रतों का दिल में यूँ गुब्बारा न करो।।
राह है तो ठोकरें भी मिलेंगी पग पग पे।
बढ़ो आगे पर ठोकरों को दुतकारा न करो।।
मो• एहतेशाम अहमद,
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया