5) दुआ
तुमसे मुहब्बत
और फिर जुदाई का एहसास दिल में लिए,
तड़प कर दुआ की है खुदा से अक्सर,
सब कुछ दिया तूने इस जन्म में।
दिल दिया तूने दिलदार दिया,
मगर वस्ल के साथ जुदाई क्यूँ दी तूने!
पल दो पल की जुदाई हो तो सह भी ले दिल,
सारी उम्र तन्हा कैसे काटे कोई?
अर्ज़ है इस दिल की उस खुदा से,
दे हर जन्म में तुमसा हमराज़ मुझे।
वस्ल दे मगर जुदाई न दे,
नाकाम मुहब्बत न दे
इस जन्म की तरह मुझे।
तुम्हारे तन्हा रह जाने का
गम ही तड़पाएगा मुझे हरदम।
मेरा क्या है !!
तुम्हारी याद ही काफी है
मेरी तन्हा ज़िंदगी के लिए।
जो माँगोगे जो होगा दूँगी तुम्हें मैं,
तुम्हारे ही लिए है जो कुछ है पास मेरे।
न मिले इस जन्म में हम
न सही
अगले जन्म सही
मगर हर ख़ुशी, हर बहार मिले तुम्हें
इस जन्म में ही।
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नेहा शर्मा ‘नेह’