49….Ramal musaddas mahzuuf
49….Ramal musaddas mahzuuf
faa’ilaatun faa’ilaatun faa’ilun 2122 2122 212
तुम नजर भर ये, अजीयत देखना
हो सके, मैली-सियासत देखना
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इस भरोसे , राजनीती ख़ाक सी
लूट शामिल की, हिमाकत देखना
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दिन कमाई के , जमाना आप का
कब हो मुमकिन फिर, जिहानत देखना
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लोग रहते , थे डरे जब आप से
जानते ना थे , अदालत देखना
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तोहफे में ‘लाख’, तुमको बाँट दे
कौम की तुम ही, तबीयत देखना
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अजीयत =यातना ,जहानत = समझदारी
सुशील यादव