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25 Oct 2024 · 1 min read

4764.*पूर्णिका*

4764.*पूर्णिका*
🌷 यूं नहीं कहते कुछ हम 🌷
212 22 22
यूं नहीं कहते कुछ हम।
यूं नहीं सहते कुछ हम ।।
समझते अपना दायित्व।
यूं नहीं रहते कुछ हम ।।
प्यार की नदियाँ देखो।
यूं नहीं बहते कुछ हम ।।
जिंदगी नायाब यहाँ ।
यूं नहीं ढ़हते कुछ हम ।।
आग है दिल में खेदू।
यूं नहीं दहते कुछ हम ।।
……….✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
25-10-2024शुक्रवार

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