4732.*पूर्णिका*
4732.*पूर्णिका*
🌷 पास यहाँ सबकुछ 🌷
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पास यहाँ सबकुछ ।
आस यहाँ सबकुछ ।।
जीवन है जीवन ।
सांस यहाँ सबकुछ ।।
मानो तो दुनिया ।
खास यहाँ सबकुछ ।।
मन से मन अपना।
दास यहाँ सबकुछ ।।
देख प्रकृति खेदू।
भास यहाँ सबकुछ ।।
…….✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
22-10-2024मंगलवार