4694.*पूर्णिका*
4694.*पूर्णिका*
🌷 अभिमान यहाँ 🌷
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अभिमान यहाँ ।
अधिमान यहाँ ।।
वास्ता क्या है ।
कुरबान यहाँ ।।
बनती दुनिया ।
अभिज्ञान यहाँ ।।
अपना गैर बने।
अनजान यहाँ ।।
करते खेदू।
अवदान यहाँ ।।
……✍️ डॉ. खेदू भारती। “सत्येश “
17-10-2024 गुरुवार