4677.*पूर्णिका*
4677.*पूर्णिका*
🌷 डर डर कर रहते क्यों 🌷
22 22 22
डर डर कर रहते क्यों ।
मर मर कर रहते क्यों।।
पाना है खोना भी ।
भर भर कर रहते क्यों।।
बनते भाग्य विधाता ।
हर हर कर रहते क्यों।।
झरना देखो मोहक ।
झर झर कर रहते क्यों।।
साथ निभाते खेदू।
दर दर कर रहते क्यों।।
……..✍️ डॉ. खेदू भारती। “सत्येश “
16-10-2024 बुधवार