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28 May 2024 · 1 min read

46…22 22 22 22 22 22 2

46…22 22 22 22 22 22 2
नाव को फेक, पाँव में जो, भंवर बांध लेते है
नादान लोग, जीने अजब ,हुनर बाँध लेते हैं
#
क़ब पड़ा फर्क, जमाने को, मेरे होने का इन दिनों
सूखी शाखों बदले, सब्ज शजर बांध लेते है
#
बचपन ढूंढ रहा हो, गलियों में जब निवालो को
खौफ जदा हम भी, आजकल, शहर बाँध लेते हैं
#
लोग चुप थे ,, हादसा छूकर निकला नही, बस उनको
एहतियात के तौर , गठरी वे ,पत्थर बाँध लेते हैं
#
कोई तो, माहिर बैद- बैगा- गुनिया बुला लाओ
कहते, उड़ती हवा ,उसूलो नजर बांध लेते है
सुशील यादव
27.3.24

72 Views
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