4443.*पूर्णिका*
4443.*पूर्णिका*
🌷 अपने ही बेगाने निकले🌷
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अपने ही बेगाने निकले।
देखो बहुत सयाने निकले।।
चाहा था हम बदले जीवन।
कैसे आज जमाने निकले।।
हो काश यहाँ ख्वाब हकीकत।
ये सर अपन कटाने निकले।।
ना जाने झूठ फरेब कभी ।
दुनिया सोच बताने निकले।।
दे प्यार जहाँ अपना खेदू।
दामन नेक सजाने निकले ।।
…….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
26-09-2024 गुरुवार