4367.*पूर्णिका*
4367.*पूर्णिका*
🌷 खुद होकर कुछ दिया नहीं🌷
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खुद होकर कुछ दिया नहीं ।
सब लेकर कुछ दिया नहीं ।।
चाहत भी जानते यहाँ ।
राहत कर कुछ दिया नहीं ।।
दुनिया बदले हुए जहाँ ।
खुशियाँ पा कुछ दिया नहीं ।।
तरसे तरसे रखें हमें ।
यूं दिल से कुछ दिया नहीं ।।
कहते खेदू जरा चले ।
सच खुल कर कुछ दिया नहीं ।।
……….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
19-09-2024 गुरुवार