बाण माताजी री महिमां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
गुलाबों सी महक है तेरे इन लिबासों में,
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
सारे इलज़ाम इसके माथे पर,
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
बना है राम का मंदिर, करो जयकार - अभिनंदन
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज