अपनों की जीत
तुम कोशिश कर लो
रोक नहीं पाओगे मुझे
ठान लिया है मन में जो
करना है अब वही मुझे
मैं कहता नहीं हूँ कुछ
सही समय का इंतज़ार है
समझ ले थोड़ी दुनियादारी
क्यों व्यर्थ में तू बेज़ार है
रोकना आसान है किसी को
है साथ कदम बढ़ाना मुश्किल
करोगे अपना दिल बड़ा तो
होगी नहीं तुम्हें कोई मुश्किल
बढ़ता है कोई अपना आगे
क्यों अच्छा नहीं लगता है तुम्हें
अपनों से चिढ़ना, दूसरों के लिए ताली
क्यों इसमें मज़ा आता है तुम्हें
है नहीं क़सूर तेरा कोई इसमें
बिंदास कर जो तू करना चाहता है
बिगाड़ा नहीं मैंने कुछ तुम्हारा
कोई गिला नहीं जो तू यही चाहता है
मैं तो चल पड़ा हूँ अपनी राह पर
माना तेरे बिना राह मुश्किल होगी
जानता हूँ कहेगा सबसे अपना मुझे
जब मुझे हासिल मेरी मंज़िल होगी।