#कुंडलिया//
पहला फूटा छंद तब , ऋषि मुख से अनमोल।
तीर शिकारी का लगा , उजड़ा क्रोच कलोल।।
उजड़ा क्रोच कलोल , देख यह ऋषिवर क्रोधित।
बोले फिर वाल्मीकि , शिकारी करने श्रापित।
सुन प्रीतम की बात , राम नाम हृदय टहला।
रामायण यश कीर्ति , छंद ऋषि मुख से पहला।
#आर.एस. ‘प्रीतम’