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25 Feb 2022 · 1 min read

चार संस्कारी दोहे

अपनाये संस्कार तो, भूलो मत इन्सान
जन्म मिले माँ बाप से, ऋणी रहे सन्तान

दी प्रतिभा भगवान ने, छोड़ अकड़ इन्सान
नतमस्तक हो आदमी, तो पाये सम्मान

जनमान्यता समाज में, तभी मिले सरकार
गुस्सा, घमण्ड छोड़िये, मानो बस उपकार

मनोवृत्ति कर ठीक तू, त्याग समस्त घमण्ड
राधे-राधे बोलिये, बनिए नहीं उदण्ड
•••

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 2214 Views
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Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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