4) “एक और मौक़ा”
नव वर्ष 2024 है आया,
मौक़ा नया भी साथ लाया।
अतीत बीत गया, जाने दो, नई शक्ति, नई उम्मीद आने दो।
विश्वास छूटे नहीं, रिश्ता टूटे नहीं,
मन में दृढ़ता जगाने दो।
ख़्वाब संजोय जो कभी,
लबों पर मुस्कराहट लाए हैं,
ज़िंदगी के पन्नों पर लिख लिख कर मोतियों सा सजाये हैं।
मुसाफ़िर ही बन कर आए थे,
मुसाफ़िर बन कर जाएँगे।
कर लो अरमान पूरे अपने,
न फिर दिन ये हाथ आयेंगे।
वक़्त शीघ्र बीत रहा,
हाथ फिर कभी न आएगा,
कर बंदे तू कर्म अपना,
मंज़िल की तरफ़ बढ़ता जाएगा।
न छोड़ना,मिला जो मौक़ा जीने का,
जकड़ कर रख मुट्ठी में,
नहीं तो तू पछताएगा।
महक सी सजा दो दुनिया अपनी,
परिश्रम का फल खाएगा,
स्वर्ग धरती पर ही पाएगा।।
ख़ुशियों का जीवन हो सब का,
यही तमन्ना करना सखा,
एक और मौक़ा मिलने पर भी,
ईश्वर की ही आराधना करना सदा।
“एक और मौक़ा”
स्व-रचित/ मौलिक
सपना अरोरा।