4) धन्य है सफर
धन्य है सफर …
आसान हो जाता है
सफर जीवन का ,
मीत मिल जाता है
अगर मन का ।
सफर रास्ते के हों
या हों जीवन के ,
अगर मीत मिलें हों
बस अपने मन के ।
फिर ! धन्य हो जाता है ,
” रास्ते और जीवन ”
सफर बन के।
है न ?
मेरा सफर तो धन्य है
मीत का मीता बन के ,
उकेर दिया मैंने
सारे अपने मन के ।
कहें कैसा लगता है
मीत मुझे बना के ?
पूनम झा ‘प्रथमा’
जयपुर, राजस्थान
Mob-Wats – 9414875654
Email – poonamjha14869@gmail.com