Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

4 खुद को काँच कहने लगा …

4 खुद को काँच कहने लगा …

खुद ही टकराता खुद ही चोट खाता ,
दिल हर दिन नए किस्से सहने लगा

वरदान मिला अंधेरों को या है मजबूरी ,
क्या करता उजला चाँद अंधेरे सहने लगा

चोट खाए मन को है तन्हाइयों की ज़िद ,
अब उसका भी दर्द आंखों से बहने लगा

उसने हीरे को इस कदर काँच कहा कि ,
हीरा भी खुद को काँच ही कहने लगा

जो कभी किसी की आंखों का नूर था ,
वो अब जुगनुओं सा मजबूर रहने लगा

क्षमा ऊर्मिला

Language: Hindi
51 Views
Books from Kshma Urmila
View all

You may also like these posts

छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल।
छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
दोस्त कहता है मेरा खुद को तो
Seema gupta,Alwar
अगर हम कोई भी काम जागरूकता के साथ करेंगे तो हमें निराशा नहीं
अगर हम कोई भी काम जागरूकता के साथ करेंगे तो हमें निराशा नहीं
Ravikesh Jha
जाया जय मकसूद
जाया जय मकसूद
RAMESH SHARMA
तेरी इस वेबफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
तेरी इस वेबफाई का कोई अंजाम तो होगा ।
Phool gufran
सनातन परम सत्य, पुनर्जन्म l
सनातन परम सत्य, पुनर्जन्म l
अरविन्द व्यास
आनन ग्रंथ (फेसबुक)
आनन ग्रंथ (फेसबुक)
Indu Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
** खोज कन्हैया की **
** खोज कन्हैया की **
Dr. P.C. Bisen
"तुम्हारे नाम"
Lohit Tamta
यक्षिणी-5
यक्षिणी-5
Dr MusafiR BaithA
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आँखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
प्रेम गीत :- वक़्त का कारवां...
प्रेम गीत :- वक़्त का कारवां...
मनोज कर्ण
बांदरो
बांदरो
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
पाती प्रभु को
पाती प्रभु को
Saraswati Bajpai
इश्क की राहों में इक दिन तो गुज़र कर देखिए।
इश्क की राहों में इक दिन तो गुज़र कर देखिए।
सत्य कुमार प्रेमी
सज़ल
सज़ल
Mahendra Narayan
जो बिगड़ा अतीत तुम्हारा, छुपाया न जाए,जिसे स्वीकारे तुम्हें,
जो बिगड़ा अतीत तुम्हारा, छुपाया न जाए,जिसे स्वीकारे तुम्हें,
पूर्वार्थ
बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
Shutisha Rajput
Lambi khamoshiyo ke bad ,
Lambi khamoshiyo ke bad ,
Sakshi Tripathi
जिंदगी के उतार चढ़ाव में
जिंदगी के उतार चढ़ाव में
Manoj Mahato
..
..
*प्रणय*
पसंद उसे कीजिए जो आप में परिवर्तन लाये क्योंकि प्रभावित तो म
पसंद उसे कीजिए जो आप में परिवर्तन लाये क्योंकि प्रभावित तो म
Ranjeet kumar patre
चांद सूरज भी अपने उजालों पर ख़ूब इतराते हैं,
चांद सूरज भी अपने उजालों पर ख़ूब इतराते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आओ स्वतंत्रता का पर्व
आओ स्वतंत्रता का पर्व
पूनम दीक्षित
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यही सत्य है
यही सत्य है
Rajesh Kumar Kaurav
मौन पर त्वरित क्षणिकाएं :
मौन पर त्वरित क्षणिकाएं :
sushil sarna
मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 )
मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 ) " वक्त से "
Mamta Singh Devaa
"इंसान की जमीर"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...