Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

4 खुद को काँच कहने लगा …

4 खुद को काँच कहने लगा …

खुद ही टकराता खुद ही चोट खाता ,
दिल हर दिन नए किस्से सहने लगा

वरदान मिला अंधेरों को या है मजबूरी ,
क्या करता उजला चाँद अंधेरे सहने लगा

चोट खाए मन को है तन्हाइयों की ज़िद ,
अब उसका भी दर्द आंखों से बहने लगा

उसने हीरे को इस कदर काँच कहा कि ,
हीरा भी खुद को काँच ही कहने लगा

जो कभी किसी की आंखों का नूर था ,
वो अब जुगनुओं सा मजबूर रहने लगा

क्षमा ऊर्मिला

Language: Hindi
44 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Kshma Urmila
View all
You may also like:
ओ माँ मेरी लाज रखो
ओ माँ मेरी लाज रखो
Basant Bhagawan Roy
आंखों की भाषा के आगे
आंखों की भाषा के आगे
Ragini Kumari
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
दिल तो पत्थर सा है मेरी जां का
Monika Arora
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
शेखर सिंह
लोकतंत्र
लोकतंत्र
करन ''केसरा''
हुआ है इश्क जब से मैं दिवानी हो गई हूँ
हुआ है इश्क जब से मैं दिवानी हो गई हूँ
Dr Archana Gupta
In the bamboo forest
In the bamboo forest
Otteri Selvakumar
सुदामा जी
सुदामा जी
Vijay Nagar
हाइकु haiku
हाइकु haiku
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बड़ी अजीब है दुनिया साहब
बड़ी अजीब है दुनिया साहब
Sushil chauhan
अपना भी एक घर होता,
अपना भी एक घर होता,
Shweta Soni
11) “कोरोना एक सबक़”
11) “कोरोना एक सबक़”
Sapna Arora
प्रतियोगिता के जमाने में ,
प्रतियोगिता के जमाने में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
Shankarlal Dwivedi reciting his verses and Dr Ramkumar Verma and other literary dignitaries listening to him intently.
Shankarlal Dwivedi reciting his verses and Dr Ramkumar Verma and other literary dignitaries listening to him intently.
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
#जय_गौवंश
#जय_गौवंश
*प्रणय*
मैं ....
मैं ....
sushil sarna
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन
Rj Anand Prajapati
"मंजिल"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने एहसास
अपने एहसास
Dr fauzia Naseem shad
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
Ravi Prakash
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
गिरें पत्तों की परवाह कौन करें
Keshav kishor Kumar
ये  कैसी  मंजिल  है  इश्क  की.....
ये कैसी मंजिल है इश्क की.....
shabina. Naaz
मुझको आश्चर्य होता है यह देखकर
मुझको आश्चर्य होता है यह देखकर
gurudeenverma198
खेल जगत का सूर्य
खेल जगत का सूर्य
आकाश महेशपुरी
shikshak divas **शिक्षक दिवस **
shikshak divas **शिक्षक दिवस **
Dr Mukesh 'Aseemit'
अपना ख्याल रखियें
अपना ख्याल रखियें
Dr .Shweta sood 'Madhu'
आरम्भ
आरम्भ
Neeraj Agarwal
यॅू तो,
यॅू तो,
TAMANNA BILASPURI
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
पूर्वार्थ
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...