Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2024 · 1 min read

3527.*पूर्णिका*

3527.*पूर्णिका*
दिन आज मस्ताना हुआ
22 22 212
दिन आज मस्ताना हुआ।
दिल यूं दीवाना हुआ ।।
फूल खिले महके चमन ।
मन भी परवाना हुआ।।
साथ यहाँ जाने जिगर।
बेफिक्र अफसाना हुआ।।
खुशियां देखो प्यार में ।
मस्त देख जमाना हुआ ।।
सच खेदू बिंदास हम ।
बस कदम बढ़ाना हुआ ।।
……..✍ डॉ.खेदू भारती “सत्येश”
04-06-2024मंगलवार

59 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सिंदूर 🌹
सिंदूर 🌹
Ranjeet kumar patre
बाट तुम्हारी जोहती, कबसे मैं बेचैन।
बाट तुम्हारी जोहती, कबसे मैं बेचैन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
आर.एस. 'प्रीतम'
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
रोशनी
रोशनी
Neeraj Agarwal
मुखौटा!
मुखौटा!
कविता झा ‘गीत’
3136.*पूर्णिका*
3136.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये भी क्या जीवन है,जिसमें श्रृंगार भी किया जाए तो किसी के ना
ये भी क्या जीवन है,जिसमें श्रृंगार भी किया जाए तो किसी के ना
Shweta Soni
नजरों से गिर जाते है,
नजरों से गिर जाते है,
Yogendra Chaturwedi
बिछड़ना जो था हम दोनों को कभी ना कभी,
बिछड़ना जो था हम दोनों को कभी ना कभी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हौसला मेरा
हौसला मेरा
Dr fauzia Naseem shad
यूँ तो हमें
यूँ तो हमें
हिमांशु Kulshrestha
काला कौवा
काला कौवा
surenderpal vaidya
"रिश्ते के आइने चटक रहे हैं ll
पूर्वार्थ
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
विकास शुक्ल
Success Story-2
Success Story-2
Piyush Goel
*संवेदनाओं का अन्तर्घट*
*संवेदनाओं का अन्तर्घट*
Manishi Sinha
"एकता का पाठ"
Dr. Kishan tandon kranti
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
Lokesh Sharma
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
फूल और कांटे
फूल और कांटे
अखिलेश 'अखिल'
जिसनै खोया होगा
जिसनै खोया होगा
MSW Sunil SainiCENA
Jeevan ka saar
Jeevan ka saar
Tushar Jagawat
*धरते मुरली होंठ पर, रचते मधु संसार (कुंडलिया)*
*धरते मुरली होंठ पर, रचते मधु संसार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शहर तुम्हारा है  तुम खुश क्यूँ नहीं हो
शहर तुम्हारा है तुम खुश क्यूँ नहीं हो
©️ दामिनी नारायण सिंह
अब कुछ चलाकिया तो समझ आने लगी है मुझको
अब कुछ चलाकिया तो समझ आने लगी है मुझको
शेखर सिंह
शिव स्वर्ग, शिव मोक्ष,
शिव स्वर्ग, शिव मोक्ष,
Atul "Krishn"
"लफ्ज़...!!"
Ravi Betulwala
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी
DrLakshman Jha Parimal
Loading...