3368.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3368.⚘ पूर्णिका ⚘
🌹 लक्ष्य से भटक जाते हैं🌹
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लक्ष्य से भटक जाते हैं ।
मन भी अटक जाते हैं ।।
जीवन की कहानी सुन ।
नैना मटक जाते हैं ।।
बनते बिगड़ते हैं क्या।
चलते लटक जाते हैं ।।
सरकारी यहाँ अपना।
लाखों गटक जाते हैं ।।
कर ले मेहनत खेदू।
मंजिल झटक जाते हैं ।।
…….✍ डॉ .खेदू भारती “सत्येश “
01-05-2024बुधवार