3308.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3308.⚘ पूर्णिका ⚘
🌹 बन नदी बहना पड़ता है🌹
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बन नदी बहना पड़ता है ।
कष्ट यहाँ सहना पड़ता है ।।
जिंदगी की जंग लड़े हम ।
रोज ही कहना पड़ता है ।।
दुश्मन भी मित्र जब काम सधे ।
साथ में रहना पड़ता है ।।
हौसला अफजाई करते ।
पर्वत को ढ़हना पड़ता है ।।
मंजिलें कब मिलती है खेदू।
दूध भी दुहना पड़ता है ।।
……..✍ डॉ .खेदू भारती “सत्येश “
23-04-2024मंगलवार