3294.*पूर्णिका*
3294.*पूर्णिका*
🌷 तर तर बहते पसीना देखो 🌷
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तर तर बहते पसीना देखो।
चमके अंगन नगीना देखो ।।
प्यासी दुनिया बुझे प्यास यहाँ।
हरयाते मस्त सगीना देखो।।
झुलसाती खूब ये धूप बलम ।
सुंदर सुंदर सबीना देखो।।
अपना सूरज नया सोच तपे ।
जीने का अब करीना देखो ।।
रखते बुनियाद भी यूं खेदू।
फितरत कहती जरीना देखो ।।
………..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
20-04-2024शनिवार