3280.*पूर्णिका*
3280.*पूर्णिका*
🌷 साथी कोई मिल जाता है 🌷
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साथी कोई मिल जाता है ।
यूं देख दुश्मन हिल जाता है ।।
दुनिया कितनी प्यारी लगती ।
दिल भी अपना खिल जाता है ।।
नेकी कर दरिया में डाले।
सच में बन काबिल जाता है ।।
लेते देते बीते जीवन ।
देखो शुन्य हासिल जाता है ।।
पथ प्यारा प्यार जहाँ खेदू।
अपनों में शामिल जाता है ।।
………….✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
15-04-2024सोमवार