3270.*पूर्णिका*
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3270.*पूर्णिका*
🌷 होती है कुछ दुनिया 🌷
22 22 22
होती है कुछ दुनिया।
रोती है कुछ दुनिया।।
हम जागे तो जागे।
सोती है कुछ दुनिया।।
हासिल मंजिल अपनी।
खोती है कुछ दुनिया ।।
होना क्या और यहाँ ।
बोती है कुछ दुनिया ।।
चैन नहीं है खेदू।
ढोती है कुछ दुनिया।।
……✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
12-04-2024शुक्रवार