3265.*पूर्णिका*
3265.*पूर्णिका*
🌷 बादल बरसे नहीं 🌷
22 2212
बादल बरसे नहीं ।
निकले घर से नहीं।।
चाहत अपनी यहाँ ।
कोई तरसे नहीं ।।
हम तो प्यारा बने ।
नैना हरसे नहीं ।।
सबको खुशियांँ मिले
जाए दर से नहीं ।।
देखो खेदू जरा ।
भारी पर से नहीं ।।
……..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
11-04-2024गुरुवार