Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2024 · 1 min read

3263.*पूर्णिका*

3263.*पूर्णिका*
🌷 आज जो है कल नहीं होगा 🌷
2122 212 22
आज जो है कल नहीं होगा ।
बस बता क्या हल नहीं होगा ।।
देख हरदम बदलता मौसम ।
बोल ऐसा पल नहीं होगा।।
फूल बगियां में खिले प्यारे।
सच वहाँ कुछ छ्ल नहीं होगा।।
प्यास बुझती है कहाँ अपनी ।
कौन देगा जल नहीं होगा।।
खुश रहेंगे हम जहाँ खेदू।
जान बंटे दल नहीं होगा।।
………..✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
11-04-2024गुरुवार

133 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
Phool gufran
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
Omee Bhargava
सीखो मिलकर रहना
सीखो मिलकर रहना
gurudeenverma198
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
मैं ना जाने क्या कर रहा...!
भवेश
मैं दुआ करता हूं तू उसको मुकम्मल कर दे,
मैं दुआ करता हूं तू उसको मुकम्मल कर दे,
Abhishek Soni
" कल से करेंगे "
Ranjeet kumar patre
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
अरशद रसूल बदायूंनी
😊एक दुआ😊
😊एक दुआ😊
*प्रणय*
फूल   सारे   दहकते  हैं।
फूल सारे दहकते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
3289.*पूर्णिका*
3289.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मकरंद
मकरंद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ज्वलंत संवेदनाओं से सींची धरातल, नवकोपलों को अस्वीकारती है।
ज्वलंत संवेदनाओं से सींची धरातल, नवकोपलों को अस्वीकारती है।
Manisha Manjari
उदास हो गयी धूप ......
उदास हो गयी धूप ......
sushil sarna
सावन भादो
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सृष्टि का अंतिम सत्य प्रेम है
सृष्टि का अंतिम सत्य प्रेम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आगे का सफर
आगे का सफर
Shashi Mahajan
सिलसिला
सिलसिला
Ramswaroop Dinkar
अजीब सी चुभन है दिल में
अजीब सी चुभन है दिल में
हिमांशु Kulshrestha
कबीरा गर्व न कीजिये उंचा देखि आवास।
कबीरा गर्व न कीजिये उंचा देखि आवास।
Indu Singh
बिन चाहे गले का हार क्यों बनना
बिन चाहे गले का हार क्यों बनना
Keshav kishor Kumar
नयी - नयी लत लगी है तेरी
नयी - नयी लत लगी है तेरी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कभी-कभी आप अपने जीवन से असंतुष्ट होते हैं, जबकि इस दुनिया मे
कभी-कभी आप अपने जीवन से असंतुष्ट होते हैं, जबकि इस दुनिया मे
पूर्वार्थ
ସେହି ଚୁମ୍ବନରୁ
ସେହି ଚୁମ୍ବନରୁ
Otteri Selvakumar
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
Neelofar Khan
संगठन
संगठन
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सफ़र जिंदगी के.....!
सफ़र जिंदगी के.....!
VEDANTA PATEL
*झगड़ालू जाते जहॉं, झगड़ा करते आम (कुंडलिया)*
*झगड़ालू जाते जहॉं, झगड़ा करते आम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"कवि"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य)
कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य)
मोहित शर्मा ज़हन
Loading...