3217.*पूर्णिका*
3217.*पूर्णिका*
🌷 कोई किसी का हो जाता है🌷
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कोई किसी का हो जाता है ।
जीवन उसी का हो जाता है ।।
दुनिया कहे बस नायाब यहाँ ।
हीरा उसी का हो जाता है ।।
जोखिम उठाकर जो भी चलते ।
सच वक्त उसी का हो जाता है ।।
जो ठान के यूं काम बनाते ।
सारा उसी का हो जाता है ।।
अक्ल ही बड़ी खेदू भैस नहीं ।
समझे उसी का हो जाता है ।।
……✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
31-03-2024रविवार