3178.*पूर्णिका*
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3178.*पूर्णिका*
🌷 मंजिल ऐसी नहीं मिलती🌷
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मंजिल ऐसी नहीं मिलती।
खुशियाँ ऐसी नहीं मिलती।।
आगे बढ़ मेहनत अक्ल से।
कलियाँ ऐसी नहीं खिलती।।
अपनी जगह पर रह कायम।
पत्तियाँ ऐसी नहीं हिलती।।
यारी अपनी यहाँ संघर्ष ।
घासे ऐसी नहीं छिलती।।
छूते सच आसमां खेदू ।
अरमाँ ऐसी नहीं पलती ।।
…….✍ डॉ .खेदूभारती”सत्येश”
25-03-2024सोमवार